200+ गुलज़ार की लिखी ग़ज़लों से चुनिंदा शेर | Gulzar Shayari

गुलज़ार की लिखी ग़ज़लों से चुनिंदा शेर

Gulzar Shayari
 
 
 
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यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
Gulzar Shayari

 

पलक से पानी गिरा है, तो गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी।
Gulzar Shayari

 

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है
कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता
Gulzar Shayari

 

ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।
Gulzar Shayari

 

तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन,  
ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन!
Gulzar Shayari

 

पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी।

 

Gulzar shayari

Gulzar Shayari

 

दर्द हल्का है साँस भारी है,
जिए जाने की रस्म जारी है।
Gulzar Shayari

 

सुना है काफी पढ़-लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते।
Gulzar Shayari

 

छोटा सा साया था आँखों में आया था,
हमने दो बूंदों से मन भर लिया।
Gulzar Shayari

 

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
Gulzar Shayari

 

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ,
किसी की आँख में हमको भी इंतजार दिखे।
Gulzar Shayari

 

मत पूछो साहब शीशे के टूटने की वजह,
शायद उसने भी किसी पत्थर को अपना समझा होगा।
Gulzar Shayari

 

यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
Gulzar Shayari

 

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।
Gulzar Shayari

 

बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश  की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!
Gulzar Shayari

 

अजीब से लोग बसते हैं शहर में मेरे,
काँच की मरम्मत करते हैं, पत्थर के औज़ारों से।
Gulzar Shayari

 

तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।
Gulzar Shayari

 

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
Gulzar Shayari

 

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,
मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।

 

Gulzar Shayari

 

मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
Gulzar Shayari

 

तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।
Gulzar Shayari

 

जख्म कहाँ-कहाँ से मिले हैं, छोड़ो इन बातों को,
ज़िंदगी तू इतना बता सफर और कितना बाकी है।
Gulzar Shayari

 

इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी
हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां
Gulzar Shayari

 

बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।

 

2 Lines Gulzar Shayari  

Gulzar Shayari

 

बस एक वहशत-ए-मंज़िल है और कुछ भी नहीं
कि चंद सीढ़ियाँ चढ़ते उतरते रहते हैं

 

Gulzar Shayari

 

हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते!
Gulzar Shayari

 

मुझे मालूम था की वो मेरा हो नहीं सकता,
मगर देखो मुझे फिरसे मोहब्बत हो गयी उससे।
Gulzar Shayari

 

ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला,
तमाम उम्र में दो चार छ गिले भी नहीं।
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ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।
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बहुत छाले हैं उसके पैरों में
कमबख्त उसूलों पर चला होगा
Gulzar Shayari

 

तुम लौट कर आने की तकलीफ़ मत करना,
हम एक ही मोहब्बत दो बार नहीं किया करते!
Gulzar Shayari

 

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
Gulzar Shayari

 

उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले
Gulzar Shayari

 

कुछ ऐसे हो गए हैं, इस दौर के रिश्ते,
आवाज़ अगर तुम ना दो, तो बोलते वह भी नहीं।
Gulzar Shayari

 

“खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते,
बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते !”
Gulzar Shayari

 

और खामोश हो जाऊं माना कि मौसम भी बदलते हैं 
मगर धीरे-धीरे तेरे बदलने की रफ्तार से हवाएं भी हैरान है
Gulzar Shayari

 

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं
Gulzar Shayari

 

कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
Gulzar Shayari

 

इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी
हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां
Gulzar Shayari

 

मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।

 

Gulzar Shayari in Hindi 

Gulzar Shayari

 

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
 
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है।
 
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
 
जागना भी काबुल है तेरी यादों में रातभर,
तेरे अहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ!
 
ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं
ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं
 
 
 
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
 
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं
 
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते
 
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
 
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
 
“एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।”
 
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।

Gulzar Shayari on Life

Gulzar Shayari

 

 

दिल के रिश्ते ‍‍‍ हमेशा किस्मत से ही बनते है,
वरना मुलाकात तो रोज हजारों 1000 से होती है
 
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं, 
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
 
तोड़कर जोड़ लो चाहे हर चीज दुनिया की,
सब कुछ काबिले मरम्मत है एतबार के सिवा ।
 
लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है,
चलिए छोड़िए कौनसाक्या पहली दफा है।
 
रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
 
शोर की तो एक उम्र होती हैं,
ख़ामोशी सदाबहार होती हैं।
 
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
 
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है
 
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।

 

Gulzar Shayari on Love 

Gulzar Shayari

 

हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते, 
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
 
गुलाम थे तो हम सब हिंदुस्तानी थे,
आजादी ने हमें ️हिंदू मुसलमान बना दिया।
 
तजुर्बा कहता है रिश्तों में फैसला रखिए,
ज्यादा नजदीकियां अक्सर दर्द दे जाती है…
 
शायर बनना तो बहुत आसान हैं बस,
एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
 
मुद्दतें लगी बुनने में ख्वाब का स्वेटर,
तैयार हुआ तो मौसम बदल चूका था!
 
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है, 
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की। 
 
जिंदगी ये तेरी खरोंचे है मुझ पर 
या फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है…
 
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी
 
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी,
ऐसा तो कम ही होता है वह भी हो तन्हाई भी ।
 
एक बार तो यूँ होगा कि थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी और ना सर पे जूनून होगा।
 
उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और, 
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
 
कुछ ऐसे हो गए है इस दौर के रिश्ते,
आवाज अगर तुम ना दो तो बोलते वह भी नही।
Gulzar Shayari

 

बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।
 
कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे…।
 
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते है,
वरना मुलाकात तो रोज हजारों से होती है।
 
एक सपने के टूटकर चकना चूर हो जाने के बाद,
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं।
 
तस्वीरें लेना भी जरूरी है जिंदगी में साहब
आईने गुजरा हुआ वक्त नहीं बताया करते 

 

Gulzar Shayari in Hindi 2 lines 

Gulzar Shayari

 

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
 
रात को भू कुरेद कर देखो,
अभी जलता हो कोई पल शायद!
 
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया।
 
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,
मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती हैं।
Gulzar Shayari

 

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं तुम शर्ते बदल देते हो।
 
हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
 
रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
 
सलीका अदब का तो बरकरार रखिए जनाब,
रंजिशे अपनी जगह है सलाम अपनी जगह।।
Gulzar Shayari

 

वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए।
 
हम अपनों से परखे गए हैं कुछ गैरों की तरह,
हर कोई बदलता ही गया हमें शहरों की तरह….!
 
कहूं क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है,
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।
 
शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी है
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले, नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
 
कुछ शिकायत बनी रहे तो बेहतर है,
चाशनी में डूबे रिश्ते वफादार नही होते।

Khamoshi Gulzar Shayari 

Gulzar Shayari

 

तुम्हारा साथ तसल्ली से चाहिए मुझे ,
जन्मों की थकान लम्हों में कहाँ उतरती है।।
 
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
 
मुहब्बत लिबास नहीं जो हर रोज बदल जाए
मोहब्बत कफन है जो पहन कर उतारा नहीं जाता।।
Gulzar Shayari

 

इतनी सी ज़िन्दगी है पर ख्वाब बहुत है
जुर्म तो पता नहीं साहब पर इल्जाम बहुत है।।
 
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
Gulzar Shayari

 

पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी।
 
जो चाहे हो जाए वह दर्द कैसा और
जो दर्द को महसूस ना कर सके वो हमदर्द कैसा 

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