Mirza Ghalib sad shayari , Mirza Ghalib shayari | Hindi status

Mirza Ghalib shayari

Mirza Ghalib shayari

जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ ग़ालिब ज़ख्म का एहसास

 तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथ में।

Mirza Ghalib shayari

तेरे वादे पर जिये हम तो यह जान,झूठ जाना

 कि ख़ुशी से मर न जाते अगर एतबार होता ..!

Mirza Ghalib shayari

हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’मर गया पर याद आता है,

 वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता ।

Mirza Ghalib shayari

आतिश-ए-दोज़ख़ में ये गर्मी कहाँ सोज़-ए-ग़म-हा-ए-निहानी और है

Mirza Ghalib shayari

छुपा लो मुझे अपने सासों के दरमियाँ,

 कोई पूछे तो कह देना जिंदगी है मेरी…!

Mirza Ghalib shayari

हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ,

 जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा।

Mirza Ghalib shayari

तू ने कसम मय-कशी की खाई है ‘ग़ालिब’ 

तेरी कसम का कुछ एतिबार नही है..!

Mirza Ghalib shayari

तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान झूठ जाना,

 कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता । .।

Mirza Ghalib shayari

अच्छा कालीफा नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं काम होता है

 शाम क्यों नजरों में पूछ उन परिंदों से हसीन का है जिनका घर नहीं होते

Mirza Ghalib shayari

इसकी मौत पर जमाना अफसोस करें जो तो गाली गालिब

 हर शक्स दुनिया में आता है मरने के लिए की खुशियां बनाए रखें

Mirza Ghalib shayari

अब जफ़ा से भी हैं महरूम हम अल्लाह अल्लाह 

इस क़दर दुश्मन-ए-अरबाब-ए-वफ़ा हो जाना

Mirza Ghalib shayari

आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे, 

ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे..!

Mirza Ghalib shayari

ज़िन्दगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते,

 कफ़न भी लेते है तो अपनी ज़िन्दगी देकर।

 

Mirza Ghalib shayari

मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का उसी 

को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले..! !!”

Mirza Ghalib shayari

बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिब 

तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते है..

Mirza Ghalib shayari

रात है ,सनाटा है , वहां कोई न होगा, ग़ालिब, 

चलो उन के दरो -ओ -दीवार चूम के आते हैं. !

Mirza Ghalib shayari

दुश्मन भले ही आगे निकल जाए कोई खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे 

मगर हमारी बेचैनियों की वजह तुम हो,galib shayari, ।

Mirza Ghalib shayari

ये संगदिलो की दुनिया है, संभालकर चलना ‘ग़ालिब’ 

यहां पलकों पर बिठाते है, नजरो से गिराने के लिए… .

Mirza Ghalib shayari

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी अब किसी बात पर नहीं आती ।।

Mirza Ghalib shayari

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए,

 साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था..!

Mirza Ghalib shayari

अपने किरदार पर डाल कर पर्दा,

 हर कोई कह रहा है, ज़माना खराब है…

Mirza Ghalib shayari

तुम्हें तनहा ना करते खाली फुर्सत नहीं से नहीं मोहताज होते है

 तुम कहीं और के मुसाफिर हो हमारा शहर तो बस रास्ते में आया था,

Mirza Ghalib shayari

ज़रा कर जोर सीने पर की तीर -ऐ-पुरसितम् निकले जो,

 वो निकले तो दिल निकले , जो दिल निकले तो दम निकले.

Mirza Ghalib shayari

कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ 

वाइज पर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले..

Mirza Ghalib shayari

Mirza Ghalib shayari

रे म्हारी गाड़ी पे जाट लिख्याहोया,

 किसे लाल बत्ती ते कम है के! !

Mirza Ghalib shayari

खैरात में मिली ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती ग़ालिब, 

मैं अपने दुखों में रहता हु नवावो की तरह।

Mirza Ghalib shayari

मगर लिखवाए कोई उस को खत तो हम से लिखवाए हुई 

सुब्ह और घरसे कान पर रख कर कलम निकले.. |

Mirza Ghalib shayari

कागजो पर तो अदालते चलती है हम तो जाट के छोरे है 

फैसला on the spot करते है।

Mirza Ghalib shayari

नशे पते की आदत कोनी मौज लिया करू मौके की दो चीजा 

की लत कसूती लाग्गी बैरण एक तेरी एक होक्के की 😉 😅

Mirza Ghalib shayari

मरते है आरज़ू में मरने की मौत आती है पर नही आती,

 काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’ शर्म तुमको मगर नही आती ।

Mirza Ghalib shayari

कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है

 मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता

Mirza Ghalib shayari

आशिक़ हूँ प माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम मजनूँ को बुरा कहती है

 लैला मिरे आगे 

Mirza Ghalib shayari

कहते हुए साक़ी से हया आती है वर्ना, 

है यूँ कि मुझे दुर्द-ए-तह-ए-जाम बहुत है..!

Mirza Ghalib shayari

हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब,

 न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।

2 line Mirza Ghalib shayari

मरते है आरज़ू में मरने की मौत आती है पर नही आती,

 काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’ शर्म तुमको मगर नही आती । !

2 line Mirza Ghalib shayari

मगर लिखवाए कोई उस को खत तो हम से लिखवाए हुई

 सुब्ह और घरसे कान पर रख कर कलम निकले..

2 line Mirza Ghalib shayari

मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का उसी को देखकर जीते है

 जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले..!

2 line Mirza Ghalib shayari

तू ने कसम मय-कशी की खाई है ‘ग़ालिब’ 

तेरी कसम का कुछ एतिबार नही है..!

2 line Mirza Ghalib shayari

देखिए लाती है उस शोख़ की नख़वत क्या रंग 

उस की हर बात पे हम नाम-ए-ख़ुदा कहते हैं

2 line Mirza Ghalib shayari

तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत नहीं है ग़ालिब , 

कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद.

2 line Mirza Ghalib shayari

मेरे पास से गुजर कर, मेरा हाल तक नहीं पूछा,

 मैं कैसे मान जाऊँ के, वो दूर जाके रोए…. …

2 line Mirza Ghalib shayari

कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तू ने हम-नशीं 

इक तीर मेरे सीने में मारा कि हाए हाए

2 line Mirza Ghalib shayari

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए,

 साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था..!

2 line Mirza Ghalib shayari

हम को मालूम है, जन्नत की हकीकत लेकिन,

 दिल को खुश रखने को, ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है…

2 line Mirza Ghalib shayari

जताया नहीं करते वह अक्सर गुस्से में रोजा करते हैं

 बेहद ख्याल रखा करो तुम अपना मेरी आम सी जिंदगी में बहुत खास हो तुम

2 line Mirza Ghalib shayari

इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के.

2 line Mirza Ghalib shayari

दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए,

 दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।

2 line Mirza Ghalib shayari

कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज 

पर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले..

2 line Mirza Ghalib shayari

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़

 वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है.

2 line Mirza Ghalib shayari

उम्र भर का तू ने पैमान-ए-वफ़ा बाँधा तो क्या,

 उम्र को भी तो नहीं है पाएदारी हाए हाए..!

@Mirza Ghalib

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