Zindagi sad shayari – Jindagi ki shayari | Deep shayari on life

Zindagi sad shayari



zindagi shayari


वक़्त के एक तमाचे की देर है साहेब मेरी फकीरी भी किया तेरी अमेरि भी किया


आया ही था खयाल कि आँखें छलक पड़ीं आँसू किसी की याद के कितने करीब हैं!


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अब समझ लेता हूँ मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट, 
हो गया है ज़िंदगी का तजुर्बा थोड़ा थोड़ा। ।


बदल जाती है जिंदगी की हकीक़त 

जब तुम मुश्कुरा के कहते हो बहुत प्यारे हो तुम

 

हम ही पत्थर के हो गये ये सोचके कि ज़िंदगी तो फूल बनेगी नहीं  !!!


खुदा करे वो मोहब्बत जो तेरे नाम से है, 

हजार साल गुजरने पे भी जवान ही रहे।


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ज़िन्दगी का सफ़र तोह एक हसीं सफ़र है 

हर किस्सी को किस्सी न किस्सी की तलाश है

 किस्सी के पास मंजिल है तोह राह नहीं और

 किस्सी के पास रह है तो मंजिल नहीं


समंदर न सही पर एक नदी तो होनी चाहिए

 तेरे शहर में ज़िंदगी कहीं तो होनी चाहिए।।


मुस्कुरा कर चलना हमने वक्त से सीखा है

 ज़िंदगी जीने का बस यही तरीका है ।


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एक साँस सबके हिस्से से हर पल घट जाती है,

 कोई जी लेता है जिंदगी, किसी की कट जाती है।


बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं,

 तुझे ए ज़िन्दगी हम दूर से पहचान लेते हैं।


फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की,

 जैसे ये ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं, कोई इल्जाम है।।


ओढ़कर मिट्टी की चादर बे-निशां हो जायेंगे,

 एक न एक दिन हम भी दास्ताँ हो जायेंगे..!


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आदत है मुझे जिन्दगी में यूं तूफान खड़ा करने की.. 

यहां मिलती है सजा बिना शोर के महफ़िल सजाने की… !!


मेरी मुस्कान ही तेरी हर खुशी की वजह है..

 और ये वजह मेरी जिंदगी बन गई है..

 

कैनात की सब से महंगी चीज़ अहेसास है 

जो दुनिया का हर इंसान के पास नहीं होती !


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सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नही कहते 

आँखों में कुछ ख़वाब और दिल में उम्मीदे होना जरूरी है ।


पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं,

 तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं। .


मेरी नाकाम मोहब्बत मुझे वापस देदी

 जैसे लगा मेरी लाश मेरे हाथ में थमा दी उसने ।।


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आवारगी मैं हद से गुजर जाना चाइये

 लेकिन कभी कभी घर भी जाना चाहिए


डूबना नहीं था ज़िन्दगी की नैय्या में ,

 इसलिए मैंने सपनो की नांव तैयार रखी।


साथ उस का खरीदने को रोज़ थोरी थोरी ज़िन्दगी बरच देता हूँ


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जिस रास्ते पे चला हमने शायद वह खास नहीं 

लेकिन रिश्ते वह सारे हमने संभाल के रखे हैं ।


ज़िंदगी में खुशी तेरे आने से है वरना जीने में ग़म हर बहाने से है ।


देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से, चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से


देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से,

 चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से।


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आँखों में हो गर ग़ुरूर तो इंसान को इंसान नहीं दीखता,

 छत पर गर चढ़ जाओ तो जैसे अपना घर नहीं दीखता..! |


बुरा वक्त भी कमाल का होता है, 

आपके अपने दिखने वाले भी आपको नजर नहीं आते हैं।


वो फिज़ाओं में ज़हर घोलता हैं घर के राज़ सारे बाहर खोलता हैं..

 करता हैं दावा ज़िंदगी बदलने का जो सिक्कों में मेरा ज़मीर तोलता हैं.!


ज़िन्दगी का अपना रंग है दुःख वाली रात सोया नही जाता 

और ख़ुशी वाली रात सुने नहीं देती


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नामुमकिन सी लगती है जिंदगी हर कदम पर तेरे साथ के बिना.. 

नहीं तय कर पाऊंगी सफर मैं तू भले ही सिखा दे अकेले जीना..


रा वक्त भी कमाल का होता है,

 आपके अपने दिखने वाले भी आपको नजर नहीं आते हैं।


जो पढ़ा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन,

 ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ।


मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको,

 ऐ ज़िंदगी, मुझे रोज-रोज तमाशा न बनाया कर।


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जी ले अगर जो तमन्ना साथ लाया है

 जिंदगानी ये ठहरेगी नहीं जो कट जाए । !


एक साँस सबके हिस्से से हर पल घट जाती है 

कोई जी लेता है जिंदगी किसी की कट जाती है।


आया ही था खयाल कि आँखें छलक पड़ीं आँसू 

किसी की याद के कितने करीब हैं!


जिनमें अकेले चलने का हौसला होता है

 एक दिन उनके पीछे ही काफिले होते है


life zindagi shayari


बोझ कंधो पर नहीं , मन पर था

 तभी तो मैं ज़्यादा दूरी तक चल नहीं पाया।


मुझ से बिछड़ कर किस रंग में है

 वो ये देखने रक़ीब के घर जाना चाहिए


मैंने ज़िन्दगी में एक ही बात सीखी है के इंसान को 

कोई चीज़ हरा नहीं सकती जब तक वो खुद हार ना मान ले …


मुझे ज़िन्दगी का इतना तजुर्बा तो नही पर सुना है सादगी में लोग जीने नही देते


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हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की, 

आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो रही है।


चलता रहुगा पथ पर चलने में माहिर बन जाऊँगा !

 या तो मंजिल मिल जायेगी या अच्छा मुसाफिर बन जाऊँगा .।


सके जैसा हसीं नहीं देखा ए चाँद तुझ मैं वो मलाल कहा


काश मैं अपनी ज़िन्दगी का लाडला होता , 

जीत मेरी ही होती ,चाहे कोई भी मामला होता।


life zindagi shayari


इक टूटी सी ज़िंदगी को समेटने की चाहत थी

 न खबर थी उन टुकड़ों को ही बिखेर बैठेंगे हम।


बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई ऊस वक़्त,

 जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नहीं होता।


ज़िंदगी तेरे नाम कई अफसाने बने होश वाले, सब तेरे दिवानें बने..

 ज़िंदगी पिघलती रही शमा की तरह हम महफिल में तेरी खातीर परवाने बने..


life zindagi shayari


परेशानियां हमे भी है साहब, पर मुस्कराने में क्या जाता है..

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