गुलज़ार की लिखी ग़ज़लों से चुनिंदा शेर About Gulzar s hayari Gulzar को वर्ष 2004 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूसण से सम्मानित किया गया यह भा...
गुलज़ार की लिखी ग़ज़लों से चुनिंदा शेर
About Gulzar shayari
Gulzar को वर्ष 2004 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूसण से सम्मानित किया गया यह भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। गुलज़ार साहब को वर्ष 2002 में सहित्य अकादमी पुरस्कार और वर्ष 2009 फ़िल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो(Jay Ho) के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार का ऑस्कर पुरस्कारदिया गया। उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका है।
- सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार: 1977, 1979, 1980, 1983, 1988, 1991, 1998, 2002, 2004
- साहित्य अकादमी पुरस्कार: 2002
- पद्मभूषण: 2004
- सर्वश्रेष्ठ मौलिक गीत का ऑस्कर: 2009 ‘जय हो’ के लिए
- ग्रैमी पुरस्कार: 2010
- दादा साहब फाल्के पुरस्कार: 2013
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहताकोई एहसास तो दरिया की अना का होता
पलक से पानी गिरा है, तो गिरने दो,कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी।
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैकभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता
ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।
तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन,ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन!
पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो,कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी।
Gulzar shayari
दर्द हल्का है साँस भारी है,जिए जाने की रस्म जारी है।
सुना है काफी पढ़-लिख गए हो तुम,कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते।
छोटा सा साया था आँखों में आया था,हमने दो बूंदों से मन भर लिया।
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ,किसी की आँख में हमको भी इंतजार दिखे।
मत पूछो साहब शीशे के टूटने की वजह,शायद उसने भी किसी पत्थर को अपना समझा होगा।
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहताकोई एहसास तो दरिया की अना का होता
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,जैसे एहसान उतारता है कोई।
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!
अजीब से लोग बसते हैं शहर में मेरे,काँच की मरम्मत करते हैं, पत्थर के औज़ारों से।
तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँउन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।
जख्म कहाँ-कहाँ से मिले हैं, छोड़ो इन बातों को,ज़िंदगी तू इतना बता सफर और कितना बाकी है।
इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगीहमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।
2 Lines Gulzar Shayari
बस एक वहशत-ए-मंज़िल है और कुछ भी नहींकि चंद सीढ़ियाँ चढ़ते उतरते रहते हैं
हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते!
मुझे मालूम था की वो मेरा हो नहीं सकता,मगर देखो मुझे फिरसे मोहब्बत हो गयी उससे।
ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला,तमाम उम्र में दो चार छ गिले भी नहीं।
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।
बहुत छाले हैं उसके पैरों मेंकमबख्त उसूलों पर चला होगा
तुम लौट कर आने की तकलीफ़ मत करना,हम एक ही मोहब्बत दो बार नहीं किया करते!
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ परचले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले
कुछ ऐसे हो गए हैं, इस दौर के रिश्ते,आवाज़ अगर तुम ना दो, तो बोलते वह भी नहीं।
"खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते,बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते !"
और खामोश हो जाऊं माना कि मौसम भी बदलते हैंमगर धीरे-धीरे तेरे बदलने की रफ्तार से हवाएं भी हैरान है
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाददूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगीहमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां
मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को,मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है।
Gulzar Shayari in Hindi
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,उस ने सदियों की जुदाई दी है।
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
जागना भी काबुल है तेरी यादों में रातभर,तेरे अहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ!
ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैंये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतींवो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करतेवक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
“एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।”
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।
Gulzar Shayari on Life
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते है,वरना मुलाकात तो रोज हजारों 1000 से होती है
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
तोड़कर जोड़ लो चाहे हर चीज दुनिया की,सब कुछ काबिले मरम्मत है एतबार के सिवा ।
लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है,चलिए छोड़िए कौनसाक्या पहली दफा है।
रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
शोर की तो एक उम्र होती हैं,ख़ामोशी सदाबहार होती हैं।
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगाज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।
Gulzar Shayari on Love
हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
गुलाम थे तो हम सब हिंदुस्तानी थे,आजादी ने हमें ️हिंदू मुसलमान बना दिया।
तजुर्बा कहता है रिश्तों में फैसला रखिए,ज्यादा नजदीकियां अक्सर दर्द दे जाती है...
शायर बनना तो बहुत आसान हैं बस,एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
मुद्दतें लगी बुनने में ख्वाब का स्वेटर,तैयार हुआ तो मौसम बदल चूका था!
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
जिंदगी ये तेरी खरोंचे है मुझ परया फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है…
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भीतीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी,ऐसा तो कम ही होता है वह भी हो तन्हाई भी ।
एक बार तो यूँ होगा कि थोड़ा सा सुकून होगा,ना दिल में कसक होगी और ना सर पे जूनून होगा।
उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
कुछ ऐसे हो गए है इस दौर के रिश्ते,आवाज अगर तुम ना दो तो बोलते वह भी नही।
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।
कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,जब तक ख़ुद पर ना गुजरे…।
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते है,वरना मुलाकात तो रोज हजारों से होती है।
एक सपने के टूटकर चकना चूर हो जाने के बाद,दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं।
तस्वीरें लेना भी जरूरी है जिंदगी में साहबआईने गुजरा हुआ वक्त नहीं बताया करते
Gulzar Shayari in Hindi 2 lines
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
रात को भू कुरेद कर देखो,अभी जलता हो कोई पल शायद!
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया।
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती हैं।
कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,जब हम बदलते हैं तुम शर्ते बदल देते हो।
हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
सलीका अदब का तो बरकरार रखिए जनाब,रंजिशे अपनी जगह है सलाम अपनी जगह।।
वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,उनको तोहफे में एक आईना दीजिए।
हम अपनों से परखे गए हैं कुछ गैरों की तरह,हर कोई बदलता ही गया हमें शहरों की तरह....!
कहूं क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है,क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।
शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आप की कमी सी हैदफ़्न कर दो हमें के साँस मिले, नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
कुछ शिकायत बनी रहे तो बेहतर है,चाशनी में डूबे रिश्ते वफादार नही होते।
Khamoshi Gulzar Shayari
तुम्हारा साथ तसल्ली से चाहिए मुझे ,जन्मों की थकान लम्हों में कहाँ उतरती है।।
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
मुहब्बत लिबास नहीं जो हर रोज बदल जाएमोहब्बत कफन है जो पहन कर उतारा नहीं जाता।।
इतनी सी ज़िन्दगी है पर ख्वाब बहुत हैजुर्म तो पता नहीं साहब पर इल्जाम बहुत है।।
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो,कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी।
जो चाहे हो जाए वह दर्द कैसा औरजो दर्द को महसूस ना कर सके वो हमदर्द कैसा